क्यों करते हैं श्राद्ध, क्यों होती

*इस साल का विशेष–

+91 98387 62010 सुजीत जी महाराज 

इस वर्ष अधिक मास लग रहा है।हर साल हम सब श्राद्ध के अगले दिन से नवरात्रि की पूजा शुरू हो जाती है। और कलश स्थापना से लेकर प्रथम देवी की अर्चना शुरू हो जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो रहा है। इस बार श्राद्ध समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा। अधिकमास लगने से नवरात्रि 28-30 दिन आगे खिसक जाएंगे। इस साल दो महीने अधिकमास लग रहे हैं।

दरअसल लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है। इसलिए इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा।

1.जुलाई 2020 देवशयन एकादशी होगी।01 जुलाई से 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी तक I

ज्योतिष की मानें तो 160 साल बाद लीप ईयर और अधिकमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं। चतुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। । इस दौरान देव सो जाते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागते हैं।

इस साल श्राद्ध 2 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर 2020 को श्राद्ध खत्म होंगे।
इसके अगले दिन अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखें जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि शुरू होंगे।

विष्णु भगवान के निद्रा में जाने से इस काल को देवशयन काल माना गया है। इस समय भगवान विष्णु निद्रा में रहते हैं। चतुर्मास में एक ही स्थान पर गुरु यानी ईश्वर की पूजा करने को महत्व दिया है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। इस मास में शिव उपासना का भी विशेष महत्व है।श्री शिवपुराण व विष्णुपुराण पढ़ें।रुद्राभिषेक कराएं।महामृत्युंजय मन्त्र का अनुष्ठान करें।

ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा पर निवास करते हैं। इस दौरान ब्रह्मांड की सकारात्मक शक्तियों को बल पहुंचाने के लिए व्रत व मन्त्र का बहुत महत्व है। चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की विधिवत पूजा होती है। यह समय तन्त्र पूजा का भी है।बंगलामुखी अनुष्ठान का विशेष शुभ समय है।भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।

सुजीत जी महाराज

+91 98387 62010

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