Sharad Purnima 2018: शरद पूर्णिमा के दिन आसमान से बरसता है अमृत, जानें इस रात क्यों बनाई जाती है खीर
Sharad Purnima 2018 Kheer Prasad : शरद पूर्णिमा पर खीर के प्रसाद का बहुत महत्व है। जानें कब इसे चांद की रोशनी में रखा जाना चाहिए और कब इसका प्रसाद ग्रहण करें
Sharad Purnima 2018 Kheer Prasad : आश्विन मास की पूर्णिमा को ही ही शरद पूर्णिमा माना गया है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है। वैसे इसकी भी एक खास वजह है। दरअसल खीर दूध से बनी होती है और दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करते हैं। शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा से निकलने वाली किरणों में सभी रोगों की दवा होती हैं।
आयुर्वेद के हिसाब से जब चंद्र किरणें शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर पर पड़ती हैं तो सभी प्रकार की व्याधियों का नाश होता है। वैसे इस रात्रि जागने की परंपरा भी है। यह पूर्णिमा जागृति पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाती है। इस रात्रि चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है।
Sharad Purnima 2018 How to Keep Kheer as Prasad
खीर बनाकर उसे एक मीडियम आकार के बर्तन में रखें। इसे एक पतले सूती कपड़े से बांधकर छलनी से ढक दें। इस खीर को पूरी रात्रि रखते हैं वो भी खुली आसमान के नीचे, छत पर या किसी उपवन में। जहां भी खीर को रखा जाता है, वहां एक उत्सव का वातावरण बनाकर भजन कीर्तन करते हैं। इस रात्रि श्री विष्णु पूजा की जाती है। वहीं 16 कलाओं से पूर्ण श्री कृष्ण उपासना का भी विधान है।
अगले दिन प्रातः इस खीर को भगवान विष्णु को निवेदित करके अर्थात भोग लगाकर पुनः इसका सेवन किया जाता है और भक्तों में इस महा प्रसाद का वितरण होता है। चंद्रमा सांस और कफ के रोग का कारक ग्रह है अर्थात यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा दूषित है तो आप कफ और श्वांस रोग से पीड़ित रहेंगे। ऐसी स्थिति में इनसे प्रभावित जातकों के लिए यह खीर अमृत के समान है। इस रात्रि चंद्रमा धरती के बहुत समीप होता है और इसकी किरणें सीधे धरती तक पहुंचती हैं। इसी कारण इस किरण में घुले सभी अमृत तत्व आसानी से खीर में घुल जाते हैं।
Sharad Purnima 2018 When to Keep Kheer as a Prasad
जैसे ही चांद की रोशनी धरती पर पड़ने लगे या उस जगह, जहां आप खीर रखने वाले हैं – तो तुरंत ही कटोरी में खीर डाल कर विधि पूर्वक उसे पूर्णिमा के चांद की रोशनी में रख दें। इसके बाद जाप और पूजन करें। रात्रि 12 बजे के बाद आप खीर को उठाकर उसका प्रसाद बांटें। शरद पूर्णिमा का समय इस तरह है :
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 23 अक्टूबर 2018 की रात 10:36 मिनट
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 24 अक्टूबर की रात 10:14 मिनट
Sharad Purnima 2018 Spritual Significance
इस खीर का आध्यात्मिक महत्व यह है कि इसे ग्रहण करने से मन को शीतलता प्राप्त होती है। चंद्रमा पूर्ण कला में है मतलब मन की ग्राह्यता सम्पूर्ण है। मन जब पूर्णतया ईश्वर के चरणों में या भक्ति में समर्पित होता है तो वही भक्ति की सर्वोच्च अवस्था होती है। यही बात श्री कृष्ण जी गीता के 18 वें अध्याय के अंत में कहते हैं कि सर्वधर्माणपरित्यजयः मामेकम शरणम व्रजः अहं तवां सर्वपापेभ्यो मोक्ष यस्यामि मा शुचः।।
यही भक्ति की पराकाष्ठा है। शरणागति ही धर्म है। पूर्णिमा सौंदर्य है। मन का रास है।गोपियों का अपने कृष्ण के प्रति रास है।गो मतलब इन्द्रिय ,मतलब पीना।जो इंद्रियों को पी जाय अर्थात वासना को पी कर वैराग्य से और ब्रम्हचर्य से परिपूर्ण होकर श्री कृष्ण प्रेम में गाये और नृत्य करे वही सर्वोच्च भक्ति है। इस प्रकार यह पूर्णिमा अपने मन को श्री कृष्ण भक्ति में पूर्ण समर्पण का है और वह खीर उस रास का प्रसाद है। इस महापर्व का पूर्णतया लाभ उठाएं।